Hindi Poetry on Life, मेरा गाँव
मेरा गाँव(Hindi Poetry on Life)
नौकरी की तलाश में मैं शहर तो आ गया था…
पर मेरा दिल अब भी वही मेरे गांव में था…
यहां लोगों के बीच चलते हुए भी मैं अकेला था..
पता नहीं मुझे ऐसा क्यों लग रहा था कि हर आंख मुझे ही परख रही है…
हर एक शख्स पता नहीं जिंदगी की किस भागा दौड़ी में भागे चले जा रहा था…..
बस अपने सर को झुकाए हुए…चले जा रहा था…
मुझे कहीं ना कहीं ऐसा लग रहा था की…
वह भी मेरी तरह अपनी जिंदगी में कुछ समझौते कर रहा हैं…..
ये जिंदगी भी कितनी बड़ी कीमत लेती है आगे बढ़ने की…
मैं शहर तो आ तो गया था पर मेरा दिल अब भी…
वही मेरे गांव में था…
-Avinash Shahi
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