-
Two Line Shayari,घर की तनहाई
घर की तनहाई में अब अच्छा लगता है
इनमें तुम्हारी यादें जो बसी हैअकेला कहां हूं मैं
इन चार दिवारी में तुम्हारी खुशबू जो बसी है-अविनाश शाही
-
Sad Hindi Poetry ,सब अधूरा लगता है
सब अधूरा लगता है
तुम्हारे बिना यह घर सूना लगता है
अब यह चारदीवारी भी बेगानी सी लगती है
मेरी यह जिंदगी भी अधूरी सी लगती है
आ जाओ फिर लौट के
इस रिश्ते को दोबारा से सींचेंगे
तुम बस इस प्यार की डोर को थामे रखना
तुम बस मेरी चाहत पर विश्वास किये रखना
तुम्हारे बिना सब अधूरा लगता है
तुम्हारी यादें भी वक्त बेवक्त करीब आ ही जाती है
तुम्हारी बातें भी वक्त बेवक्त याद आ ही जाती है
आ जाओ फिर एक बार मुझे मुकम्मल कर दो
अधूरापन अब अच्छा नहीं लगता
टूटे ख्वाब अच्छे नहीं लगते
अधूरे सपने काटने को दौड़ते हैं
तुम्हारा होना ही मेरी मुकम्मल जिंदगी है
एक बार फिर से आ जाओ
एक बार फिर से आ जाओ
-Avinash Shahi ~Hindi Jazbaat~
-
Hindi Poetry On Life,कब ऐसा चाहा मैंने
Hindi Poetry On Life,कब ऐसा चाहा मैंने
(Video Link)
कब ऐसा चाहा मैंनेकी ये दुनिया मेरे साथ कठोर न बने
की जिंदगी के इन रास्तो पे मेरे पैरो पे छाले न पड़े
की जो मैं सोचु वो मुराद मेरी पूरी हो जाए
की मुझे कभी कोई गम न मिले
कब ऐसा चाह मैंने
के इस तपती धुप मे भी मुझे छाया मिले
के हर परेशानी मे कोई मेरा सहारा बने
के हर कोई मेरे जज्बातों की क़द्र करे
के ये दुनिया मेरे साथ कठोर न बने
कब ऐसा चाह मैंनेमै हर रास्ते पर अकेला ही चला
मैं किसी परिस्थिति मे हिम्मत नहीं हारा
मै अपनी जिंदगी का निर्माता खुद हु
मैंने कभी भी सच से अपना मुह नहीं फेरा
हर दिन थकता, हर दिन गिरता, हर दिन उठता
मैंने न किसी से सहारा माँगा
न कभी किसी से सहारे की उम्मीद करी
नदी की धारा की तरह हर परिस्थिति के अनुसार अपने आप को ढालता रहा
बस मन मे अपने सपने लिए निकल पड़ा मै
रातो को जगता कभी
और कई राते करवटे बदलते गुजार देता
यह सपने मेरे अपने है
इन्होने मुझे सोने न दिया
यकीं है मुझे खुद पे
न ही रुकना जानता हु,न ही झुकना
इस जीवन के इम्तेहान मेबस जीतना जानता हु
बस जीतना जानता हु-Avinash Shahi~ Hindi Jazbaat~
-
Sad Hindi Poetry,दूर का सितारा
Sad Hindi Poetry,दूर का सितारा
(Video Link)
आज फिर मेरे दिल के जज्बात मेरे होठों पर आते-आते रह गए.
आज फिर मैंने अपनी धड़कनों को समझा दिया.
आज फिर मैंने उसकी तरफ अपने बढ़ते कदम पीछे खींच लिए.
आज फिर मैं इस ख्याल से घबड़ा गया कि कहीं मैं उसकी दोस्ती भी ना खो बैठू.
यह कैसी दुनिया है जहां दिखावे की मोहब्बत है.
जहां खूबसूरती बाजारों में बिका करती है.
जहां सही और गलत में फर्क करना मुश्किल है.
जहां लोगों के दर्द को आप चाह कर भी कम नहीं कर सकते.
मैं चाह कर भी उसे अपना नहीं बना सकता.
हर मोहब्बत मुकर्रर हो यह जरूरी तो नहीं.
हर चाहत पूरी हो यह जरूरी तो नहीं.
वह दूर का सितारा है
मैं चाह कर भी उस तक नहीं पहुंच सकता
वह दूर का सितारा है
जो मुझे अपना बना गया
मेरी यह जिंदगी अधूरी ही सही
मेरे ये जज्बात अधूरे ही सही
मेरी यह मोहब्बत अधूरी ही सही
वह दूर का सितारा है…दूर का
-Avinash Shahi~Hindi Jazbaat~
-
Beautiful Romantic Hindi Poetry,जिससे अब तक नहीं मिले
Beautiful Romantic Hindi Poetry,जिससे अब तक नहीं मिले
जिससे अब तक नहीं मिले
उस तक पहुंचे कैसे
जिसकी कभी कल्पना करी है
उसको ढूंढ कैसे
जो मन से सच्चा हो
जो दुनिया की छल कपट से परे हो.
जिसमें अपनापन हो
जिससे मिलते ही
अपना बना लेने का
ख्याल मन में आए.
जिस की बातें दिल की गहराइयों तक पहुंच जाए
जिसके साथ होने मात्रा से ही खुशियां मिले
जो जिंदगी के हर उतार-चढ़ाव में साथ हो
जो सही और गलत में फर्क करना सिखाए
जो दुनिया की बुराइयों से परे हो
जिसके अरमान आपके लिए सच्चे हो
जिसकी चाहत आप हो
जिसकी ख्वाहिश आप हो
जिसकी जिंदगी का मकसद
आपकी खुशी हो
जिससे अब तक नहीं मिले उस तक पहुंचे कैसे
जिससे अब तक नहीं मिले उस तक पहुंचे जैसे
-Avinash Shahi~Hindi Jazbaat~
-
Emotional Hindi Poetry,लम्हा तेरी याद का
Emotional Hindi Poetry,लम्हा तेरी याद का
(Video Link)हर रात दस्तक देता है
रहता तू मेरे अंदर ही कहीं हैं
तो क्यों हर रात मेरे दिल पर दस्तक देता है
रहता तू मेरे अंदर ही कही है
तो क्यों तुम्हारे बगैर मैं अपने आप को
अधूरा सा महसूस करता हूं
लम्हा तेरी याद का सोने न देता है
तेरी यादें, मेरी पलकें भिगो जाती है
हर चेहरे में, मैं तुझे ही तलाशता हूं
तेरे बगैर यह घर, घर नहीं लगता
लम्हा तेरी याद का, सोने न देता है
तुम्हें दूर जाना ही था ,तो अपनी यादें लेते जाते
तुम्हें दूर जाना ही था, तो मेरे करीब ना आते
मुझे अपना ना बनाते हैं
मेरे दिल ने मुझसे, बगावत कर दी है
मेरा दिल तुम्हारी, धड़कने सुनना चाहता है
फिर तुम्हारे करीब, आना चाहता है
लम्हा तेरी याद का, सोने न देता है
अब अंधेरे में रहना मुझे अच्छा लगता है
दिन और रात का फर्क, अब पता नहीं चलता
मुझे मालूम है
तुम्हारे लिए मेरी खुशियां ही, सब कुछ थी
पर तुम्हारी यादों को, कहां छोड़ आऊ
यह तो मेरे अंदर ही कही है
लम्हा तेरी याद का सोने न देता है
-Avinash Shahi~Hindi Jazbaat~